
अक्सर हमने कहीं सुना है कहीं पढ़ा है कि हमें खुश रहना चाहिए और काफी लोगों को कहते सुना है कि खुशी पाने के लिए हमें कुछ ना कुछ करना पड़ता है आई हम समझते हैं कि सच में खुशी क्या है।
खुशी क्या है?
जब हमारी कोई इच्छा होती है और वह इच्छा पूरी हो जाती है तो हमें बहुत खुशी होती है, इच्छाओं का पूरा हो जाना खुशी है पर अगर हमने ध्यान से खुद को देखा हो, तो हमको साफ साफ पता चल जाएगा कि वह जो खुशी हमें मिली है कुछ करके वह ज्यादा देर तक ठहरती नहीं है वह बस कुछ समय के लिए होती है और फिर चली जाती है और फिर हम वापस से हमारी पुरानी स्थिति में आ जाते हैं
और फिर हम अपने मन में कोई नई अच्छा बनाते हैं और उसको पूरा करने में लग जाते हैं क्योंकि हमें उस कुछ समय की खुशी से लगाव हो गया है। इस प्रकार हम चलते रहे, तो हम पूरे जीवन भर बस यही करते रहेंगे, इच्छाओं को बनाना और उनको पूरा करना उनके पूरा होने पर खुश हो जाना।
उदाहरण: जैसे हमने किसी को महंगा मोबाइल चलाते हुए देखा और उसको देख कर हमारे मन में इच्छा पैदा हो जाती है, की काश मेरे पास भी ऐसा मोबाइल होता तो में कितना खुश होता, मुझे कितना अच्छा लगता।
खुशी को कल में ढूंढना, मतलब जीवन बर्बाद करना
अगर कोई व्यक्ति कल मैं खुशी की तलाश कर रहा है और पता नहीं उस खुशी को पाने के लिए क्या क्या कर रहा है और ना जाने कितने प्रकार से अपना टॉर्चर करवा रहा है शरीर के लेवल पर और मन के लेवल पर। तो वह व्यक्ति जीवन भर व्यस्त रहेगा थोड़ी सी खुशी को पाने के लिए अगर वह यही करता रहा, तो वह कभी भी असली खुशी तक नहीं पहुंच पाएगा जहां खुशी का भंडार है, वहां तक वह कभी नहीं पहुंच पाएगा क्योंकि उसका पूरा ध्यान तो कल में होने वाली खुशी पर ही रहेगा ।
खुशी आज में और अभी में है
अगर हम खुद को ध्यान से देखें, तो हम यह पाएंगे कि जब भी हम खुश होते हैं, तो हम आज में खुश होते हैं और अभी मैं खुश होते हैं हमको ऐसा लगता है कि हम कल खुश होंगे पर कल तो अभी मैं आता है इसका मतलब खुशी कल में नहीं है अभी मैं है अगर हम यह छोटी सी बात समझ जाते हैं तो हम कल में खुशी को नहीं ढूंढेंगे। फिर हम यूं ही खुश रहेंगे हम जो भी काम करेंगे उसको खुशी-खुशी करेंगे।
खुशी हमारे भीतर है
खुशी की शुरुआत खुद से होती है ना कि दूसरे से अगर हम खुश हैं, तो हमारा जीवन भीतर से सुंदर हो जाता है क्योंकि खुशी हमारे भीतर से पैदा होती है हमारे भीतर ही खुशी का पूरा भंडार मौजूद है और उस खुशी के भंडार तक पहुंचने के लिए हमें खुद से एक सवाल पूछना होगा कि “मैं कौन हूं”
जब हम इस “में कौन हूं” की गहराई में उतरेंगे तब हमें नजर आएगा खुशी का भंडार फिर हम खुशी के लिए किसी पर निर्भर नहीं रहेंगे क्योंकि हमने खुशी का कुआं अपने भीतर खोज लिया है,और फिर हम उस खुशी को सभी के साथ बाटेंगे क्योंकि खुशी बांटने से और बढ़ती है कम नहीं होती।
अगर आप सभी को यह जानकारी अच्छी लगी हो, तो आप इसको आगे भी शेयर करें ताकि वह भी इस जानकारी का लाभ उठा पाए।
इस पोस्ट को पढ़ने के लिए आप सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद।